चाँदनी का रूप

चाँदनी का रूप

सांध्य का यदि एक टुकड़ा अंक में जो डाल पाता,
चाँदनी के रूप में मैं काश तुमको ढाल पाता।

पंक्ति को विस्तार देता तोड़ सकता जो सितारे,
छंदों की रश्मियों को माँग मैं भरता तुम्हारे।
काश मैं मधुमित पलों को इन पलों में पाल पाता,
चाँदनी के रूप में मैं काश तुमको ढाल पाता।

काश लिख सकता पलों में मैं सदी की हर कहानी,
काश कह सकता हृदय के भाव आँखों की जुबानी।
काश अंतस के विकल हर भावों को सँभाल पाता,
चाँदनी के रूप में मैं काश तुमको ढाल पाता।

हर निकलता पल हृदय में प्राण का अहसास देता,
शून्यता के हर पलों में नेह का आभास देता।
चाँदनी की रश्मियों को माँग में मैं डाल पाता,
चाँदनी के रूप में मैं काश तुमको ढाल पाता।

©✍️अजय कुमार पाण्डेय
        हैदराबाद
        03 अप्रैल, 2024

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

प्यार में पीर लें पीर को प्यार दें

 प्यार में पीर लें पीर को प्यार दें एक दूजे को हम इतना अधिकार दें, के प्यार में पीर लें पीर को प्यार दें। एक कसक सी न रह जाये दिल में कहीं, ...