आपके नूर से
लिख रहे हैं गजल आपके नूर से
एक पल में सदी जी लिए उस घड़ी
जिस घड़ी हम मिले आपके नूर से
उम्र अँधियारों में ही भटकती मेरी
राह मुझको मिली आपके नूर से
आशिकी कब यहाँ रास आयी मुझे
चाह जिंदा रही आपके नूर से
दवा की मुझे अब जरूरत नहीं
दर्द ही है दवा आपके नूर से
बंद हैं रास्ते मैकदे के सभी
पी रहे हैं सभी आपके नूर से
" देव " कैसे कहें उम्र ढल जाएगी
उम्र रोशन है जब आपके नूर से
©✍️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
30 मार्च, 2024
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