छायावादी गीत अभी तक हृदय पटल पर अंकित हैं,
श्रेष्ठ कल्पना की लहरों से भाव हृदय के सिंचित हैं।
मूर्त अल्पना के विंबों से भाव निखरकर ढलते हैं,
गीत पुरानी यादों वाले साथ अभी भी चलते हैं।
कोमल भावों की मृदुल छुअन अब भी मन ललचाती है,
वनिताओं की मधुर कामना भावों को मदमाती है।
कहीं अनसजे अनुमानों के भाव हृदय में पलते हैं,
गीत पुरानी यादों वाले साथ अभी भी चलते हैं
बदले भाव छंद हैं बदले गीतों ने नवरूप लिया,
आहों से अनुमोदन पाकर साँसों को नवरूप दिया।
मुदित मगन मन मोहित होकर मनुहारों में मिलते हैं,
गीत पुरानी यादों वाले साथ अभी भी चलते हैं
©✍️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
25 मार्च, 2024
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