नेह की अभिव्यक्तियाँ
हाय करे क्या काम आये जब न कोई युक्तियाँ
आज रोया आसमां भी हाल सारा देखकर
दूर आँचल से धरा के जब हो रहीं थीं वृत्तियाँ
क्या कहूँ है कौन रिश्ता दरमियाँ दो जिंदगी के
हो रही हों क्षीड मन की जब वो सारी शुद्धियाँ
आज दीवारें भी छिपकर बात सुनती हैं यहाँ पर
दूर मन से जब हुईं हैं विश्वास की प्रवृत्तियाँ
पेड़ की उस शाख से अब " देव " रिश्ता क्या टुटेगा
धमनियों में बह रही जब नेह की अभिव्यक्तियाँ
©✍️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
16 मार्च, 2024
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें