मिल के सब निभाना

मिल के सब निभाना

आ जी लें जिंदगी को किस पल का क्या ठिकाना,
सुख-दुख ये जिंदगी है इसे मिल के सब निभाना।

हमने काट ली है आधी सदी यहाँ पर,
कौन जाने कितनी है बाकी यहाँ पर।
अब आसमान पूरा तुम्हारे वास्ते है,
ध्यान से तो देखो कितने रास्ते हैं।

इन रास्तों के संग-संग रिश्ते सभी निभाना
सुख-दुख ये जिंदगी है इसे मिल के सब निभाना।

बीती उस सदी में माना कमी रही थी,
तंग जेब कारण कोई कमी कहीं थी।
पल आने वाला सारे सपने नए सजाएं,
फूलों के रास्ते हों खुशियों से जगमगाएं।

पर बीते उन पलों का न नेह तुम भुलाना,
सुख-दुख ये जिंदगी है इसे मिल के सब निभाना।

जो गीत लिख रहा हूँ सब भाव हैं हमारे,
है आशीष ये हमारा के पथ सदा सँवारे।
मुश्किलें भी हों गर तो तुम विचल न जाना,
हो कैसा भी प्रलोभन तुम मचल न जाना।

तुम जीतने से पहले न हार मान जाना
सुख-दुख ये जिंदगी है इसे मिल के सब निभाना।

©✍️अजय कुमार पाण्डेय
        हैदराबाद
       28 फरवरी, 2024

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