रात होती रही

रात होती रही

रात भर तारों से बात होती रही
चाँद चलता रहा रात होती रही

किए अँधेरों ने यूँ तो लाखों जतन
शमा जलती रही रात होती रही

दर्द सिलवट का दिल ये भुला न सका
रात भर ऐसी बरसात होती रही

कैसे कह दूँ के हम तुम मिले ही नहीं
जब ख्यालों में मुलाकात होती रही

देव यादों ने दिल पे यूँ कब्जा किया
रात भर हिचकियों में बात होती रही

©✍️अजय कुमार पाण्डेय
        हैदराबाद
        24 फरवरी, 2024



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