शायरी
करूँ क्या जतन ऐ दिल तुझे मनाने का।
मेरी आँखों मे जो ये थोड़ी सी नमी है,
कहीं अब भी इस दिल में तेरी कमी है।
ये जो है दर्द का टुकड़ा ये जीने को जरूरी है,
वरना कौन है इतना जो मुझे प्यार यूँ करता।
नजर ये फेरते हैं जो मेरे आने के बाद,
करेंगे याद रो-रो कर मेरे जाने के बाद।
भला ऐसे भी कोई दूर जाता है क्या
जैसे आते हो तुम कोई याद आता है क्या
मुझे कहते थे जो बेवफा हो गया हूँ
वही राह में छोड़ मुझे चल दिये
दुनिया में कोई कब हमेशा रहा है,
जाना तो है हम सभी को यहाँ से।
पर जैसे गये तुम हमें छोड़ कर,
ऐसे भी कहो कोई जाता है क्या।
चले जाना ज़रा ठहरो अभी कुछ बात बाकी है,
सितारों ने सजाई है जो सारी रात बाकी है।
महफ़िल में तेरी कभी यूँ भी आयेंगे
हम न होंगे पर लम्हे गुनगुनायेंगे
ये अंदाजे बयां बहुत दिलकशी है
मगर चाहता दिल जिसे तुम नही हो
ऐसा नहीं प्यार मुझको नहीं है
मगर अब तलक ये जताना न आया
जिंदगी क़ा सफ़र यूँ सुहाना बहुत है
मगर ये सफर इतना आसान कब था
जंग है जिंदगी तुम लड़ो तो सही
मुश्किलें हैं तो क्या तुम बढ़ो तो सही
मुश्किलों से यहाँ रार क्या ठानना
जीतने तक यहाँ हार क्या मानना
बिन कहे पलकों से वो सब कह दिए
और कहते हैं कि उनको कहना न आया
जिंदगी कब किसी को कहाँ रोकती है।
उम्र की सिलवटें भी कहाँ टोकती है।
गर हौसला हो दिल में करे कुछ नया,
गर हौसला हो दिल में करे कुछ नया,
मुश्किलें कब किसी को यहाँ रोकती हैं।
साथ चल न सके जो जुदा हो गये
मोहब्बत के अब वो खुदा हो गये
रात भर चाँद से बात होती रही
तेरे ख़याल ने मुझे सोने न दिया
कैसे मानूँ के मैं याद आता नहीं
इन आँखों ने कह दी कहानी सभी
मुझसे नजरें चुरा कर भले चल दिये
आईना देखिएगा जरा सोच के
कुछ है बाकी निशानी मेरे प्यार की
बेसबब आईना तुमने चूमा न होता
रात भर हिचकियों ने सताया मुझे
और कहते हैं मैं याद आता नहीं
याद करना ही मोहब्बत की निशानी नहीं
भूल जाना भी मोहब्बत हुआ करती देव
भूल जाना किसी को बड़ी बात नहीं है देव
फिर याद न आना बड़ी बात हुआ करती है
कौन कहता है कि अब हम उन्हें याद नहीं हैं
कमबख्त हिचकियाँ आज भी सोने नहीं देती
जिंदगी एक दिन तू भी ये मान लेगी
मेरी शख्शियत क्या है पहचान लेगी
हर पल मंजिलों पे नजर रखता हूँ
ऐ जिंदगी हर रोज सफ़र करता हूँ
खुद ही बोले खुद ही खफा हो गये
और कहते हैं हम बेवफा हो गये
अब तो तन्हाईयाँ भी सताती नहीं
तेरी रुसवाईयाँ रास आने लगीं
जिन्हें मेरी परछाइयाँ भी गँवारा नहीं
उम्र भर दुश्मनी क्या निभायेंगे वो
जीवन के अँधियारे में रोशनी की आस हैं दोस्त,
बेचैनियों में भी इस दिल के सबसे पास हैं दोस्त।
मुश्किल हालात में जब कुछ भी नहीं सूझता दिल को,
आँख का अश्रु, अधरों की हँसी, मौन जज्बात हैं दोस्त।
जिस गली से गये वो मुझे छोड़ कर
ले चली जिंदगी फिर उसी मोड़ परगुनाहों की फेहरिस्त में एक गुनाह और जोड़ आया हूँ,
उन्हें भरी महफ़िल में तन्हा छोड़ आया हूँ।
बड़े अजीब रंग हैं यहाँ जमाने के,
बहाने ढूँढते हैं लोग दिल जलाने के।
जागेंगे कब तलक हम यूँ ही रात भर
ए सितारों चलो रात को ओढ़ लें
चल दिये छोड़ कर मुझको तन्हा यहाँ
ये न सोचा कि तुम बिन जियें किस तरह
फूलों से नाजुक मेरा दिल ये था
जाने क्यूँ राह तुमने चुनी काँटों की
ये दर्द ही है जिसने अकेला होने न दिया
वर्ना जमाने में कौन इतना सगा होता है
क्या करूँ कोई शिकायत क्या तुम्हें इल्जाम दूँ
दोष था अपना कि तुमको मान बैठे हम खुदा
लिख सका न गीत कोई लाख जतन दिल ने किए
थी जाने क्या अपनी खता जो शब्द सारे रूठ गये
ऐ सितारों आ मिलें हम उस सुहाने मोड़ पर
क्या पता कोई कहानी मोड़ पर अब भी खड़ी हो
माना तेरी नजरों में मैं बस एक फसाना रह गया
शुक्र है इतना कि अब भी याद है मेरी कहानी
चाँद के संग रात भर हम भी सफर करते रहे
पटरियों पर रेल सी यूँ जिंदगी चलती रही
जब से गुजरे हैं हम उनकी गली से
खुद से भी हम अजनबी हो गये हैं
कैसे कह दूँ कि मैखाने में आ के कुछ पाया नहीं
ये साकी ये पैमाना जैसा कोई हमसाया नहीं
तेरी यादों की खुशबू से महकने लगे
बिन पिये ही कदम ये बहकने लगे
तेरे दिए दर्द को हम पिये जा रहे हैं
जिंदगी हँसकर तुझे हम जिये जा रहे हैं
तेरे सिवा मुझको कोई भाता नहीं है
सच तो ये है कोई नजर आता नहीं है
ये न समझो हमेशा यूँ तन्हा रहा हूँ
कभी जिंदगी का तेरे एक लम्हा रहा हूँ
उम्र की सिलवटें भाने लगी हैं
तेरी चाहतें रास आने लगी हैं
दूर जाना था तो पास आये ही क्यूँ
जो था मुमकिन नहीं गीत गाये ही क्यूँ
खुशियों में तुम्हारी मुस्कुराना चाहता हूँ।
तुम्हारे दर्द में ऑंसू बहाना चाहता हूँ।
थक गया हूँ मैं जमाने में दिखावे से,
सब कुछ छोड़ कर मैं पास आना चाहता हूँ।
बिन तेरे आँसुओं को पिये जा रहे हैं
एक अधूरा सा जीवन जिये जा रहे हैं
कैसे लिख दूँ मैं तेरे बिना जिंदगी
मेरी साँसों के हर तार में तू ही तू
✍️अजय कुमार पाण्डेय
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