आँसू से रिश्तेदारी

आँसू से रिश्तेदारी

खुशियों के तुम गीत सजा लो गम की कुछ परवाह न कर,
अपना क्या है अपनी तो हर गम से रिश्तेदारी है।

जिनके मन ने भ्रम पाले हैं सारे गीत सजाये हैं,
कैसे जानेंगे जीवन ने कितने नेह लुटाये हैं।
जिनके मन अभिसिंचित हैं सुविधाओं की बरसातों से,
दर्द यहाँ कैसे जानेंगे स्वप्न गिरे क्यूँ आँखों से।

सुविधाओं की सेज सजा भ्रम की कुछ परवाह न कर,
अपना क्या है अपनी तो हर भ्रम से रिश्तेदारी है।

कुछ आँसू पलकों पर ठहरे कुछ पलकों से उतर गये,
जो पलकों पर ठहरे हैं दुख उतरे का क्या जानेंगे।
कुछ बंधन से मुक्त हुए हैं, कुछ आहों में उलझ गये
मुक्त हुए जो बंधन से उलझे का दुख क्या जानेंगे।

अधरों पे सब गीत सजा लो आँसू की परवाह न कर,
अपना क्या है अपनी हर आँसू से रिश्तेदारी है।

तुमने जब-जब जो-जो चाहा इस जीवन में पाया है,
मेरे हिस्से में जीवन के माना खारा सागर है।
सरिताओं की मृदु लहरों ने तुमको गीत सुनाया है,
मेरे हिस्से की लहरों में माना दुख का सागर है।

मृदु लहरों में स्वयं नहा लो खारे की परवाह न कर,
अपना क्या है अपनी तो खारे से रिश्तेदारी है।

©✍️अजय कुमार पाण्डेय
       हैदराबाद
       01 फरवरी, 2024


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