हर बात सुनानी है हमको
न रहे अधूरी बात कोई, हर बात सुनानी है हमको।
शब्दों के आलोड़न से ही, अपने जीवन का नाता है,
गीतों गजलों से छंदों से, मन प्राण वायु ये पाता है।
साँसों की सरगम से चुनकर, इक उम्र बितानी है हमको,
न रहे अधूरी बात कोई, हर बात सुनानी है हमको।
उस पथ से क्यूँ जाना मुझको, जिस पथ में तेरा द्वार नहीं,
चाँद किरण से कैसा नाता, जिसमें तेरा अहसास नहीं।
पुण्य प्रेम के अहसासों से, इक आस चुरानी है हमको,
न रहे अधूरी बात कोई, हर बात सुनानी है हमको।
अनचाहे से अनुबंधों में, जीवन को उलझाना कैसा,
अभिशापित अधरों की पीड़ा, बार-बार क्यूँ गाना ऐसा।
रिश्तों में जुड़ने से पहले, हर बात बतानी है हमको,
न रहे अधूरी बात कोई, हर बात सुनानी है हमको।
©✍️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
28 जनवरी, 2024
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