हम अभियंता

हम अभियंता

पल-पल भारत को पुण्य पंथ पर हम लेकर जाते हैं,
हम नव भारत के निर्माता अभियंता कहलाते हैं।

आदि काल से जीवन का हमने हर पंथ सँवारा है,
समय-समय पर बदलावों को हमने हर स्वीकारा है।
हम जीवन पथ के हर दुष्कर को सहज बनाते हैं,
हम नव भारत के निर्माता अभियंता कहलाते हैं।

इतिहास हमारा उन्नत है हमने जग को ज्ञान दिया,
किया सुलभ जीवन हमने नित नूतन अनुसंधान किया।
अपने अनुसंधानों से हम उन्नत राष्ट्र बनाते हैं,
हम नव भारत के निर्माता अभियंता कहलाते हैं।

हैं सपने अपने उच्च शिखर सभी बाधाएं निर्मूल हैं,
राहों के कंटक पत्थर सब अपने लिए बस धूल हैं।
हर बाधा को दूर करें हम हर पथ सुगम बनाते हैं,
हम नव भारत के निर्माता अभियंता कहलाते हैं।

रहे राष्ट्र का मान सदा अपनी केवल यही कामना,
रहे तिरंगा उच्च सदा करते हैं बस यही प्रार्थना।
जन गण मन के विजय गान पर हम ये शीश नवाते हैं,
हम नव भारत के निर्माता अभियंता कहलाते हैं।

©✍️अजय कुमार पाण्डेय
        हैदराबाद
        14 जनवरी, 2024

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