ये पल आपके नाम कर जाऊँगा
दो घड़ी प्यार मुझसे जता दीजिये,
ये पल आपके नाम कर जाऊँगा।
प्रीत के पृष्ठ से हम सजाते रहे,
उम्र की पुस्तिका आप ही के लिये।
कामना हर घड़ी हम जगाते रहे,
प्यास की तृप्ति तक आप ही के लिये।
दो घड़ी प्यास अपनी जता दीजिये,
ये पल आपके नाम कर जाऊँगा।
सांध्य ने बादलों से कहा कुछ सुनो,
है नशीली यहाँ साँझ की रागिनी,
चाँद की रश्मियाँ अंक में कुछ चुनो।
खिल रही देख लो चाँद की चाँदनी।
चाँद की चाँदनी को सजा दीजिये,
ये पल आपके नाम कर जाऊँगा।
कामना अश्रु की क्यूँ अधूरी रहे,
भावना का समंदर हृदय में भरो।
चाहतें फिर नहीं ब्रह्मचारी रहें,
भावनायें प्रणय की हृदय में भरो।
कामनायें हृदय की जगा दीजिये,
ये पल आपके नाम कर जाऊँगा।
©✍️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
14 जनवरी, 2024
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