शुभ घड़ी आयी

शुभ घड़ी आयी

तोरण सजाओ, जलाओ दीप की लड़ियाँ
आज पूरी हुई हैं प्रतीक्षा की घड़ियाँ।
हाथ पूजा की थाली शुभ दीप जलाओ,
आयी शुभ घड़ी आयी सब मिल-जुल आओ।

माथ टीका लगाओ गीत मंगल गाओ,
दोनों हाथों से सब मिल मोती लुटाओ।
आई द्वारे पे मोरे पी की सवारी,
भरी नयनों में मोरे छवि न्यारी-न्यारी।

मुझे मिल सजाओ हाथ मेंहदी लगाओ,
आँख काजल लगा काला टीका लगाओ।
उनके नयनों के कोर में यूँ बस जाऊँ,
जहाँ पलकें खुलें बस नजर मैं ही आऊँ।

आज सपने सभी मेरे पूरे हुए हैं
कई जनमों के वनवास पूरे हुए हैं।
गीत खुशियों के अब चाँदनी गा रही है,
पिया मिलन की घड़ी पास अब आ रही है।

मुझे आशीष दो मेरा जीवन सँवारो,
सखियों मिल जुल सब मेरी नजरें उतारो।
मेरे जीवन की बगिया यूँ सजती रहे,
हर घड़ी मन की ये बगिया महकती रहे।

गीतों की पालकी से मधुर गीत गाओ,
आयी शुभ घड़ी आयी सब मिल-जुल आओ।

©✍️अजय कुमार पाण्डेय
        हैदराबाद
       18सितंबर, 2023

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