मुक्तक

मुक्तक

छू सकूँ दिल को कलम से मुझे दुआयें देना,
मैं छू सकूँ दर्द दिलों के ये दुआयें देना।
मेरे मालिक बस इतनी मेहरबानी कर दे,
लिखूँ गीतों में मैं मन को ये दुआयें देना।
*****************************

इस मौन को विश्राम दें कुछ तुम कहो कुछ मैं कहूँ,
भावनाओं का समर है कुछ तुम गुहो कुछ मैं गुहूँ।
अब दूर हों सब फासले फिर एक हम-तुम हो यहाँ,
अब दुख मिले या सुख मिले कुछ तुम सहो कुछ मैं सहूँ।
****************************

पलकों के किनारों ने लिखी कितनी कहानी,
काजल के इशारों ने लिखी कितनी कहानी।
पलकों के कोरों में कहीं कुछ बात छिपी है,
नयनों ने बहारों की लिखी उतनी कहानी।
****************************

शाख से उजड़ा हूँ पर कमजोर नहीं हूँ,
सबसे हूँ बिछड़ा मगर कमजोर नहीं हूँ।
हालात कैसे भी हों अफसोस नहीं है,
टूट के सँभला हूँ मैं कमजोर नहीं हूँ।
******************************

लिखूँ कितनी कहानी मैं कुछ किस्से छूट जाते हैं,
भरूं कितना भी चित्रों में कुछ हिस्से छूट जाते हैं।
जाने क्या कमी है जो मेरे हिस्से में आई है,
रहूँ कितना सँभल कर भी ये रिश्ते टूट जाते हैं।
******************************

मुझे उनसे मुहब्बत है मगर कहना नहीं आया,
मिले जो दर्द उल्फत में कभी सहना नहीं आया।
कहीं कुछ तो कमी होगी लकीरों में हथेली की,
हुए जब पास हम दोनों हमें रहना नहीं आया।
*****************************

मिले जो जख्म हैं तुमसे मुझे उनसे मुहब्बत है।
चुभे जो शब्द इस दिल पर मुझे उनसे मुहब्बत है।
नहीं कोई शिकायत है नहीं कोई गिला उनसे,
हमसे रूठे हैं वो पर हमें उनसे मुहब्बत है।
***************************

तुम्हारे दर्द को अपना बनाने की गुजारिश है,
तुम्हारे ज़ख्म पर आँसू बहाने की गुजारिश है।
नहीं चाहत मुझे कोई मगर है प्रार्थना इतनी,
तुम्हारे साथ मरने और जीने की गुजारिश है।
****************************

मेरी आँखों के आँसू को कभी तो पढ़ लिया होता,
नए सपने निगाहों में कभी तो गढ़ लिया होता।
बिछड़ते ना कभी हम-तुम यहॉं इस मोड़ पर आकर,
पकड़ कर हाथ दूजे का आगे बढ़ लिया होता।
*****************************

भाव उसके हृदय को छुआ ही नहीं।
दर्द का बोध उसको हुआ ही नहीं।
जानेंगे क्या तड़प वो किसी और की,
प्रेम जिसके हृदय में हुआ ही नहीं।
*****************************

दिल में क्या आपके है जता दीजिये
मौन कब तक रहेंगे बता दीजिए
दिल का अपने मुझको पता दीजिये
दूर कब तक रहें आपसे हम यहाँ

मौन को तोड़िये सब बता दीजिये


तुम्हारे साथ जो बीती वही अपनी कहानी है







कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

श्री भरत व माता कैकेई संवाद

श्री भरत व माता कैकेई संवाद देख अवध की सूनी धरती मन आशंका को भाँप गया।। अनहोनी कुछ हुई वहाँ पर ये सोच  कलेजा काँप गया।।1।। जिस गली गुजरते भर...