दर्द जब सम्मान पाया प्रेम उतना ही खिला है।

दर्द जब सम्मान पाया प्रेम उतना ही खिला है।

प्रेम का अहसास सारा दर्द बिन पूरा हुआ कब,
बिन विरह के गीत की हैं पंक्तियाँ सारी अधूरी।
आह साँसों से लिपट कर ना कहे जब तक कहानी,
चाहतों के पृष्ठ पर है लेखनी तब तक अधूरी।

अहसास जब सम्मान पाया नेह उतना ही खिला है,
दर्द जब सम्मान पाया प्रेम उतना ही खिला है।।

वेदना का वेद लिखकर ग्रन्थ तब पुलकित हुआ है,
वेदना का वेद जब-जब साँस में छापा गया हो।
भूख का इतिहास भी तब पृष्ठ पर पूरा हुआ है,
मापनी में जिंदगी के स्वेद जब मापा गया हो।

मापनी में वेदना के माप को जीवन मिला है,
दर्द जब सम्मान पाया प्रेम उतना ही खिला है।।

भाग में चाहे लिखा हो बूँद अमृत या गरल की,
सत्य के विश्वास खातिर वक्त ने सब कुछ पिया है।
द्यूत क्रीड़ा जिन्दगी के मोड़ पर जब-जब छिड़ी हो,
दाँव पर इस जिन्दगी ने स्वयं को तब-तब किया है।

दाँव में कुछ भी रहा हो सत्य को ही पथ मिला है
दर्द जब सम्मान पाया प्रेम उतना ही खिला है।।

©✍️अजय कुमार पाण्डेय
        हैदराबाद
        17सितंबर, 2023




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