यादें सुहानी
बहुत भटका हूँ तब पाया हूँ मैं जिंदगानी ये
शहर ये छेड़ता अब भी पुरानी याद गीतों में
कई यादों से गुजरा हूँ मिली है तब निशानी ये
नहीं मुमकिन भुला पाना गुजारे साथ लम्हों को
कि यादों में महकती है सुहानी रात रानी ये
चलो इक बार फिर से हम उन्हीं राहों में हो आयें
जहाँ पर छोड़ कर आये अधूरी सी कहानी ये
©✍️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
23सितंबर, 2023
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