भोर का प्रभाव
शब्द-शब्द भाव हैं औ छंद-छंद प्रीत है।
व्योम से उर्मियों ने मौन को आवाज दी
भाव के तितलियों के पंख को परवाज दी
रात की ओढ़नी से झाँकती नव रीत है
शब्द-शब्द भाव हैं औ छंद-छंद प्रीत है।
रात के प्रभाव का अब खत्म हो रहा असर
छोड़ सब विषाद कल के दिख रहा नया शिखर
इस शिखर की राह ही तेरा नया मीत है
शब्द-शब्द भाव हैं औ छंद-छंद प्रीत है।
थक के बैठ जाने में तेरी ही हार है
कर्म के बिना मिले तुझे कहाँ स्वीकार है
शूल-शूल पुष्प है सब राह-राह जीत है
शब्द-शब्द भाव हैं औ छंद-छंद प्रीत है।
है लिख रहा दिवस नये भाव की प्रधानता
घुल गया जो सांध्य में स्वभाव की महानता
लिख रही नई सुबह का सांध्य नया गीत है
शब्द-शब्द भाव हैं औ छंद-छंद प्रीत है।
इस नई सदी को हम प्रेम का उपहार दें
हर प्रहर से प्रीत लें हर प्रहर को प्यार दें
नेह का विस्तार ही मनुजता की जीत है
शब्द-शब्द भाव हैं औ छंद-छंद प्रीत है।
©✍️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
01 अगस्त, 2023
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