शब्द हृदय का परिचय दे दें।
काश कभी ऐसा हो जाये, शब्द हृदय का परिचय दे दें।।
मुक्त गगन में उड़ते फिरते, संभव गीतों में ढल जाना,
कहना मन की बात निखरकर, भावों का ले ताना-बाना।
पल में छू लूँ हृदय वृन्द मैं, फिर अंतस में आख्यान करूँ,
अंजुलि में वो भाव भरूँ जो, पुण्य प्रवण का निश्चय दे दें।।
खोल हृदय के वातायन सब, बंधन सभी मुक्त हो जायें,
कुछ तो ऐसा लिखो आज फिर, मन ये प्रेम युक्त हो जाये।
कहीं वेदना यदि गहरी हो, मनमीत बने अवदान करे,
मिले नयन के मृदु बूँदों में, कोरों से जो अनुनय कर दे।।
बिन धागा के मोती बिखरे, माला में कब बँध पाते हैं
भटके मन के भाव अगर तो, छंद यहाँ कब सज पाते हैं
कहीं व्याकरण युक्त हृदय हो, जो त्रुटियों का संज्ञान करे
संभव होता पंक्ति-पंक्ति में, साँसों का जो संचय कर दे।
काश कभी--------।।
©✍️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
05जुलाई, 2023
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