हृदय का खालीपन।
लेकिन संभव नहीं हृदय का सारा खालीपन भर पाना।
बिना कथानक बनी यहाँ कब मन की एक कहानी कोई
रंगमंच पर बिना पटकथा कृतियाँ सारी सोई-सोई
संवादों में लिखे शब्द से पृष्ठों को फिर लाख सजा लो
लेकिन संभव नहीं हृदय का सारा खालीपन भर पाना।
पाँव जले मरुथल में कितने किसने देखा पता नहीं है
चले शूल पर कितने सपने पलकों को जब पता नहीं है
रात चाँदनी में नयनों के अनुरोधों को लाख जता लो
लेकिन संभव नहीं हृदय का सारा खालीपन भर पाना।
असमंजस के चक्रव्यूह में अभिमन्यू का जीवन दंडित
कुछ साँसों में कुछ आहों में आस निराशा के पल खंडित
रिश्तों के बेमेल चयन में कितना भी विश्वास जता लो
लेकिन संभव नहीं हृदय का सारा खालीपन भर पाना।
ओस बूँद से इस जीवन की मुश्किल प्यास बुझा पाना है
भागीरथ जो बना वही तो जाना क्या खोना-पाना है
टुकड़े-टुकड़े चाँद अंक में लाकर चाहे लाख सजा लो
लेकिन संभव नहीं हृदय का सारा खालीपन भर पाना।
©✍️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
07जुलाई, 2023
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