जीवन नैया डोल रही है
जीवन नैया डोल रही है आओ पार लगा जाओ।
दूर-दूर तक गहरा सागर मुश्किल जाना पार हुआ है
भटक रहा मन अँधियारों में मुश्किल जग संसार हुआ है
ज्ञान ध्यान का दीप जलाकर मन का अँधियार मिटा जाओ
जीवन नैया डोल रही है आओ पार लगा जाओ।
हम सेवक प्रभु तुम हो स्वामी हम दीन-हीन प्रभु अंतर्यामी
तुम सा नहीं कोई जगत में तुम चंदन प्रभु हम हैं पानी
भरम जाल में उलझा है मन प्रभु आकर आस जगा जाओ
जीवन नैया डोल रही है आओ पार लगा जाओ।
भीड़ भरे इस वीराने में तुम ही हो इक मात्र सहारा
किससे मन की बात कहूँ मैं तुम बिन मेरा कौन सहारा
कुरुक्षेत्र में उलझा है मन गीता का सार सुना जाओ
जीवन नैया डोल रही है आओ पार लगा जाओ।
©✍️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
22जुलाई, 2023
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