दिखता नहीं है

दिखता नहीं है

जाने अब सम्मान यहाँ दिखता नहीं है
इंसान को इंसान यहाँ दिखता नहीं है

खून से जिसने नवाजा जिंदगी को
उसका क्यूँ अहसान यहाँ दिखता नहीं है

चीखती है मौत भी देखो यहाँ अब
दर्द का आसमां यहाँ दिखता नहीं है

दूर देखो लाज का परदा लुटा है
घाव उसका क्यूँ यहाँ दिखता नहीं है

कौरवों की भीड़ का आतंक देखो
आँखों को अब भी यहाँ दिखता नहीं है

भीड़ में कोई नहीं जो सुन सके अब
"देव" केशव अब यहाँ दिखता नहीं है

©✍️अजय कुमार पाण्डेय
        हैदराबाद
        21जुलाई, 2023

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