शिव भजन।
इनके शरण में जो भी आया, कष्ट सभी के हरते हैं।
नहीं और कोई जगत का स्वामी
मेरे भोले हैं अंतर्यामी
जो भी इनकी शरण में आया
मनचाहा वो फल पाया
भटकों को हैं राह दिखाते
सबके मन की सुनते हैं
इनके शरण में जो भी आया, कष्ट सभी के हरते हैं।
कोई नहीं है शिव सा दानी
शिव हैं चंदन हम हैं पानी
भरम जाल में उलझे सारे
आये प्रभु सब द्वार तिहारे
सबकी पीड़ा कष्ट निवारे
नीलकंठ बन रहते हैं
इनके शरण में जो भी आया, कष्ट सभी के हरते हैं।
हम भी द्वार तिहारे आये
भक्ति भाव के पुष्प चढाये
हम माया में उलझे सारे
हर पल तुम्हरी ओर निहारें
प्रभु जगत के पालनहारे
सबके दिल में रहते हैं
इनके शरण में जो भी आया, कष्ट सभी के हरते हैं।
प्रभु की महिमा हम क्या गायें
वेद, ग्रन्थ सब गाते हैं
प्रभु की एक झलक मिलने से
खुद देवलोक हरषाते हैं
भक्तों के सब कष्ट हरें प्रभु
हरपल हँसते रहते हैं
इनके शरण में जो भी आया, कष्ट सभी के हरते हैं।
©✍️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
18जुलाई, 2023
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