कजरी।

कजरी।  

पिया सावन में हमके बुलाई ल जिया हरषाई द न
पिया सावन में.....।

पड़े बरखा बहार तरसे मनवा हमार
पड़े बरखा बहार तरसे मनवा हमार
अबके सावन में झलुआ झुलाय द
जिया हरषाई द न
पिया सावन में......।

कइसे तोहके बोलाई कहा कइसे समझाई
कइसे तोहके बोलाई कहा कइसे समझाई
का बताई के कइसन अब हाल बा
जिया बेहाल बा न।

जब से गइला परदेस नाही चिट्ठी संदेश
जब से गइला परदेस नाही चिट्ठी संदेश
अबकी सावन में सुरतिया दिखाई द
जिया हरषाई द न
पिया सावन में....।

सुबह, साँझ, दिन, रात बाटे तोहरे खयाल
सुबह, साँझ, दिन, रात बाटे तोहरे खयाल
बिना तोहरे ई जिनगी मोहाल ब
जिया बेहाल ब न।

बड़ी बैरन हौ रात करी केकरा से बात
बड़ी बैरन हौ रात करी केकरा से बात
अबके सावन में हमके सजाई द
जिया हरषाई द न
पिया सावन में....।

जो न बाहर कमाइब बोला कइसे खियाईब
जो न बाहर कमाइब बोला कइसे खियाईब
बड़ा मुश्किल भयल अबकी साल बा
जिया बेहाल ब न।

हरदम मनवा डेरात आवे कइसन खयाल
हरदम मनवा डेरात आवे कइसन खयाल
आ के हमके तू फिर से हँसाई द
जिया हरषाई द न
पिया सावन में...।

©✍️अजय कुमार पाण्डेय
        हैदराबाद
        16जुलाई, 2023




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