वक्त गीत हमारा गायेगा

वक्त गीत हमारा गायेगा

कब वक्त यहाँ पर ठहरा है जो आज ठहर वो जायेगा
हम दूर रहें या पास रहें पर गीत हमारा गायेगा।

कितनी गजलें, कितनी कविता, कितनी रातें कितने सपने
कितने भाव सुनहरे गाये, कितने हुए पराए अपने
कितने भाव पंक्ति में सिमटे, ये वक्त कभी बतलायेगा
हम दूर रहें या पास रहें पर गीत हमारा गायेगा।

आज यहाँ हम गाने वाले, क्या जाने कल और कहाँ हो
आज दिलों में रहते हैं हम, क्या जाने कल ठौर कहाँ हो
आज लिखे जो यहाँ कथानक, फिर कल कोई दुहरायेगा
हम दूर रहें या पास रहें पर गीत हमारा गायेगा।

कितनी शिद्दत से गीतों में हमने अपनापन पाया है
जितना तुमको सुनते देखा उतना खुलकर के गाया है
अपनेपन के इन गीतों से कल कोई मन बहलाएगा
हम दूर रहें या पास रहें पर गीत हमारा गायेगा।

पंक्ति-पंक्ति में इन गीतों के जीवन की मधुर कहानी है
बीत चुके हैं कितने जीवन जो बाकी बची सुनानी है
आज सुनाता हूँ मैं इनको कल कोई और सुनाएगा
हम दूर रहें या पास रहें पर गीत हमारा गायेगा।

©✍️अजय कुमार पाण्डेय
        हैदराबाद
        19जुलाई, 2023

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

श्री भरत व माता कैकेई संवाद

श्री भरत व माता कैकेई संवाद देख अवध की सूनी धरती मन आशंका को भाँप गया।। अनहोनी कुछ हुई वहाँ पर ये सोच  कलेजा काँप गया।।1।। जिस गली गुजरते भर...