मैं तेरे आँसू पी लूँ।
यहीं कहीं पर जीवन है इक बार तो मैं जी लूँ
तू मेरी खुशियाँ जी ले मैं तेरे आँसू पी लूँ।
कितनी बार उठे हैं गिरकर इन पथरीली राहों में
रोकर कितनी बार हँसे हैं इक दूजे की बाहों में
कल जो दर्द मिला था उसके जख्म आज मैं फिर सी लूँ
तू मेरी खुशियाँ जी ले मैं तेरे आँसू पी लूँ।
उम्र हमें अब ले आयी है यादों के मैखाने में
बीते दिन फिर छलक रहे हैं पलकों के पैमाने में
यादों में जो आह बसी है उन आहों को मैं जी लूँ
तू मेरी खुशियाँ जी ले मैं तेरे आँसू पी लूँ।
जीवन की ये सांध्य सुनहरी जाने कितनी देर चलेगी
दूर क्षितिज को तकती आँखें क्या जाने कब कहाँ ढलेगी
दिल चाहे सपना बन जाऊँ मुझको पलकों में सी ले
तू मेरी खुशियाँ जी ले मैं तेरे आँसू पी लूँ।
©✍️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
19जून, 2023
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