दोहे।
बौने इसके सामने, हुए सभी क्यूँ ग्रन्थ।।
सबके अपने हैं विषय, सबके हैं अनुराग।
अपनी-अपनी लेखनी, अपना-अपना राग।।
औरों की आलोचना, अपनी गलती माफ।
इससे पहले राखिए, अपने मन को साफ।।
विश्लेषण बस वो करे, जिसका ज्ञान अपार।
कहे अन्यथा देव फिर, बातें सब बेकार।।
अपने-अपने भाव को, व्यक्त करें सब लोग।
कोई करता मौन से, कोई कर सहयोग।।
©✍️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
20जून, 2023
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