दुनिया का ये अंत नहीं।

दुनिया का ये अंत नहीं।  

पुण्य पंथ पर चलने वालों रुक मत जाना घबराकर
दूर क्षितिज पर डूबा सूरज समझो इसको अंत नहीं
कर अपने मजबूत इरादे दुनिया का ये अंत नहीं।

नहीं रहा है यहाँ सदा ये वक्त बदलता रहता है
नहीं भुलावे की ये बातें स्वयं समय ये कहता है
धूप-ताप जिसने भी झेला वो खिला है कुम्हलाकर
तनिक ताप में कुम्हलाना छाँव का समझो अंत नहीं
कर अपने मजबूत इरादे दुनिया का ये अंत नहीं।

तेरे-मेरे मन की बातें कही-सुनी रह जाएंगी
कविताओं की सारी बातें पन्नों में रह जाएंगी
कविताओं में शब्द छपे जो रखते हैं मन को बहलाकर
लेकिन मन की व्याकुलता से कविताओं का अंत नहीं
कर अपने मजबूत इरादे दुनिया का ये अंत नहीं।

जो कुछ मन ने यहाँ बटोरा इक दिन सब चुक जाएगा
चलते-चलते कदम यहाँ पर कब जाने रुक जाएगा
रोक सका है कौन किसी को सबने देखा फुसलाकर
लेकिन इसके रुक जाने से राहों का है अंत नहीं
कर अपने मजबूत इरादे दुनिया का ये अंत नहीं।

इक आँसू लेकर आये थे हँसते-हँसते जाना है
जीवन है एक महासमर ये क्या खोना क्या पाना है
खोने-पाने की जिद ने रख दिया हृदय को बिखराकर
पाया जो शुरुआत समझ जो खोया उसको अंत नहीं
कर अपने मजबूत इरादे दुनिया का ये अंत नहीं।

©✍️अजय कुमार पाण्डेय
        हैदराबाद
        02जून, 2023

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