गो माता की पुकार।
कदम-कदम पर दर्द मिल रहा किसके द्वारे जायें
बिलख रही हैं.....।।
सबको दूध पिला कर जिसने बचपन से है पाला
उसके ही जीवन को जग ने संकट में क्यूँ डाला
आज स्वार्थी हुआ जगत क्या कोई नहीं सहारा
आवाज नहीं जाती कानों तक कितनी बार पुकारा
बदल रही है रीत जगत की किसको व्यथा सुनायें
कदम-कदम पर दर्द मिल रहा किसके द्वारे जायें।
तड़प रहे वृंदावन गोकुल तड़प रहे हैं ग्वाला
जिसने जग को प्रेम सिखाया उसका वध कर डाला
वेद, पुराण, गीता ग्रन्थों ने जिसको पग-पग पूजा
त्याग, तपस्या, दया, धर्म है और नहीं कोई दूजा
बिलख रही है गली-गली अब किसको व्यथा सुनाये
कदम-कदम पर दर्द मिल रहा किसके द्वारे जायें।
पाप-पुण्य में होड़ मची है ये कैसी विपदा आयी
कदम-कदम पर बूचड़खाने है ये कैसी कहो कमाई
तनिक स्वाद की खातिर जग में नैतिकता को तोड़ा
क्यूँ स्वार्थ में अंधा हुआ जगत क्यूँ माँ का आँचल छोड़ा
माँ का आँचल तार-तार है अब किसको व्यथा सुनाये
कदम-कदम पर दर्द मिल रहा किसके द्वारे जायें।
आज नहीं दिखता इस युग में गो माँ का रखवाला
कहाँ बसे हो आन मिलो है मुरलीधर गोपाला
टूटा जो विश्वास यहाँ तो सृष्टी मिट जाएगी
मानवता दर-दर भटकेगी राह न मिल पाएगी
इतना दो वरदान सभी को मानव धर्म निभायें
कदम-कदम पर दर्द मिल रहा किसके द्वारे जायें।
©✍️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
08मई, 2023
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