जाने न देंगे।
तुम्हें फिर यहाँ से अब जाने न देंगे
चलेंगे तुम्हारे कदम दर कदम हम
कदम के निशाँ अब मिटाने न देंगे
गायेंगे फिर गीत मन के मिलन के
उसे फिर कभी अब भुलाने न देंगे
बाद बरसों के जागे हैं लम्हें सुहाने
किसी को उन्हें अब सुलाने न देंगे
रूठना और मनाना बहुत हो चुका है
फिर रूठने के कोई अब बहाने न देंगे
मिटेंगी दिवारें सभी मैं और तुम की
फिर नई कोई दिवारें अब बनाने देंगे
नहीं कोई दौलत यहाँ तुमसे बढ़कर
इसे हाथ से देव अब जाने न देंगे
©✍️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
07मई, 2023
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