सपनों के गीत।
कुसमित मन के भाव जहाँ हो
मुकुलित कानन छाँव जहाँ हो
शब्द-शब्द में हो अनुबन्धन
परमानंद नेह अनुरंजन
गुंजित नभ नव गीत लिखें, हम
फिर सपनों के गीत लिखें, हम।
पल-पल नव संयोग जहाँ हो
रास रंग नव योग जहाँ हो
शुद्ध प्रेम हो भोग नहीं हो
मन में कोई रोग नहीं हो
योग-सुयोग मन मीत लिखें, हम
फिर सपनों के गीत लिखें, हम।
जहाँ नेह के गीत प्रवाहित
हो पोर-पोर स्नेह समाहित
जहाँ हृदय खुद मादक प्याला
देख जिसे झूमे मतवाला
मादक मन की प्रीत लिखें, हम
फिर सपनों के गीत लिखें, हम।
©✍️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
11मई, 2023
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