कहीं कोई गाँव तो होगा।
सुलगती जिंदगी है ये कहीं पर ठाँव तो होगा
बड़ी वीरान है बस्ती कहीं पर गाँव तो होगा
बहुत है धूप राहों में, तपिश है और अंगारे
जलेंगे रास्ते कब तक कहीं पर दाँव तो होगा
नहीं ढलते यहाँ पर शब्द गीतों में फकत यूँ ही
कहीं कोई इशारा है कहीं पर काँव तो होगा
न पूछो क्यूँ उमड़ते हैं दिलों में दर्द के बादल
कँटीली याद के घुँघरू सँजोये पाँव तो होगा
यूँ भटकेंगे कहाँ तक ये हमारे रास्ते बोलो
कहीं पर तो मिलेंगे ये कहीं पर गाँव तो होगा
©✍️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
10मई, 2023
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