उम्मीद नहीं टूटा करती।।
ढीली माना डोर हाथ की आस नहीं टूटा करती
एक हार से जीवन की उम्मीद नहीं टूटा करती।।माना तेज धूप राहों में दूर-दूर तक छाँव नहीं
मन को थोड़ा चैन मिले ऐसा भी कोई गाँव नहीं
माना छाँव दूर है लेकिन राह नहीं रूठा करती
एक हार से जीवन की उम्मीद नहीं टूटा करती।।
मन पर कितने बोझ भले हों काँधे कब झुक जाते हैं
जिनके सपने उच्च शिखर कब बाधा से घबराते हैं
मन को मन थाह मिले जब चाह नहीं रूठा करती
एक हार से जीवन की उम्मीद नहीं टूटा करती।।
कुछ सपनों के मर जाने से जीवन नहीं मरा करता
पलकों के यूँ झुक जाने से सपना नहीं गिरा करता
भले उम्मीदों की राह कठिन साँस नहीं छूटा करती
एक हार से जीवन की उम्मीद नहीं टूटा करती।।
©✍️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
27मई, 2023
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