नहीं आती।
नींद आँखों में अब नहीं आती
कितनी उम्मीद थी घटाओं से
बूँद आँखों में अब नहीं आती
रोज तकता हूँ रात तारों को
फिर वही रात अब नहीं आती
जिसने दिल को कभी लुभाया था
वो सूरत नजर अब नहीं आती
एक गुजारिश थी उनसे मिलने की
क्या ये फरियाद अब नहीं आती
कुछ तो ख्वाहिश अभी अधूरी है
जिंदगी रास अब नहीं आती
यादों से जाने कैसी अनबन है
याद आती थी अब नहीं आती
अपना साया भी कुछ अधूरा है
कल थी परछाईं अब नहीं आती
पहले आती थी देव हँसी यूँ ही
किसी बात पर अब नहीं आती
कैसे रखूँगा मैं खबर उनकी
अपनी भी खबर अब नहीं आती
©✍️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
20अप्रैल, 202
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