शब्द पन्नों पे उतरे गजल हो गए।
शब्द पन्नों पे उतरे गजल हो गए
बात में कुछ सच्चाई तो होगी वहाँ
यूँ ही नहीं बातें सारी असल हो गए
तेरी यादों ने इतना रुलाया हमें
नैन के कोर सारे विजल हो गए
उनके दर्द ने दर्द को दर्द इतना दिया
कि दर्द के भाव सारे खिजल हो गए
कहीं कुछ तो कमी रह गयी आहों में
के जतन जो थे सारे विफल हो गए
अब कहें देव किससे मन की यहाँ पर
दिल के रिश्ते सभी अब अजल हो गए
विजल- जल विहीन, निर्जल
खिजल- शर्मिंदगी
अजल- मृत्यु
©✍️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
27मई, 2023
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