गीत अधूरा रहे न कोई।

गीत अधूरा रहे न कोई।  

प्यासी आँखों में मन का, गीत अधूरा रहे न कोई
बूँद बनो ऋतु पावस की तुम, मन की प्यास बुझा जाओ।

गरजो-बरसो आज घटा बन, सौ-सौ बिजली बन चमको
अंग-अंग में मादकता की, मोहक छवि बनकर दमको
गूँजो बनकर मधुर तान तुम, मन मेरा बहका जाओ
बूँद बनो ऋतु पावस की तुम, मन की प्यास बुझा जाओ।

सूखी-सूखी धरती सारी, एक बूँद को जोह रही
उमड़-घुमड़ कर श्याम घटायें, मेरे मन को मोह रही
बरसो श्याम घटा बनकर तुम, अंतर्मन नहला जाओ
बूँद बनो ऋतु पावस की तुम, मन की प्यास बुझा जाओ।

दस्तक देती द्वार खड़ी है, मेरे मन के पुरवाई
गीत अधूरे राग बिना है, जाने कैसी निठुराई
मन के गीत सजे अधरों पर, ऐसा राग सुना जाओ
बूँद बनो ऋतु पावस की तुम, मन की प्यास बुझा जाओ।

बादल की जब चाह धरा को, धरती उसे बुलाती है
सागर से मिलने को नदिया, खुद चलकर के आती है
मुरली की मृदु तान छेड़ कर, फिर मधुमास जगा जाओ
बूँद बनो ऋतु पावस की तुम, मन की प्यास बुझा जाओ।

©✍️अजय कुमार पाण्डेय
        हैदराबाद
        27अप्रैल, 2023

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