भाव अंतस के।
लिखे जब भाव अंतस के कलम आँसू बहाती है।।
खिले जब फूल सपनों के नजारे गुनगुनाते हैं
इशारों ही इशारों में वहाँ अपना बनाते हैं
चमन में फूल, कलियाँ हैं नजारे हैं, बहारें हैं
मगर जब पास जाता हूँ नजारे रूठ जाते हैं
कुछ तो बात है ऐसी के पैहम टूट जाती है
लिखे जब भाव अंतस के कलम आँसू बहाती है।।
लिखे जो गीत थे अपने रचे जो साज थे अपने
सजे जब राग अधरों पर देखे नयनों ने सपने
मगर था दोष किस्मत का कहीं जो रागिनी टूटी
अधूरी ख्वाहिशों के बीच बिछड़े राह में अपने
है कुछ तो बात ऐसी कि तराने भूल जाती है
लिखे जब भाव अंतस के कलम आँसू बहाती है।।
समेटे दर्द गीतों में लिखे मन दीन दुनिया के
लिखे जो चोट मन खाये चुभे जो तीर दुनिया के
नहीं था दोष स्याही का नहीं था दोष पृष्ठों का
अधूरी चाह थी मन की अधूरे भाव दुनिया के
कुछ तो बात है ऐसी के साँसें रूठ जाती हैं
लिखे जब भाव अंतस के कलम आँसू बहाती है।।
©✍️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
02अप्रैल,2023
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