पुण्य पथिक।

पुण्य पथिक।  

जो पुण्य पंथ के राही हैं,
वो आस नहीं छोड़ा करते।
लहरों के चंद थपेड़ों में,
पतवार नहीं छोड़ा करते।।

माना के धुंध घनेरी है,
औ रात अभी गहराई है।
माना के सूरज किरणों पे,
हल्की सी बदली छाई है।
रश्मिरथी, जो पुण्य पंथ के,
व्यवहार नहीं छोड़ा करते।
लहरों के चंद थपेड़ों में,
पतवार नहीं छोड़ा करते।।

जो चले यहाँ बस जीत लिखे,
अवसादों में भी गीत लिखे।
रुँधे कंठ हो चाहे लेकिन,
जब लगे गले, मनमीत लिखे।
रिश्तों के मध्य, भँवर फँसकर,
वो तार नहीं तोड़ा करते।
लहरों के चंद थपेड़ों में,
पतवार नहीं छोड़ा करते।।

कौन विश्व में ऐसा बोलो,
जिसका सर सबसे ऊँचा है।
सीना तान खड़ा पर्वत भी,
आकाश तले तो नीचा है।
जीवन में दंभ किया जिसने,
वो धार नहीं मोड़ा करते।
लहरों के चंद थपेड़ों में,
पतवार नहीं छोड़ा करते।।

इक छोटी सी नदिया हमको,
बस बात यही समझाती है।
कुछ राहों के अवरोधों से,
क्या, डूब कहीं खो जाती है।
बढ़ना जिनकी फितरत में हो,
अटकाव, नहीं तोड़ा करते।
लहरों के चंद थपेड़ों में,
पतवार नहीं छोड़ा करते।।

©✍️अजय कुमार पाण्डेय
        हैदराबाद
       03अप्रैल, 2023





कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

प्यार में पीर लें पीर को प्यार दें

 प्यार में पीर लें पीर को प्यार दें एक दूजे को हम इतना अधिकार दें, के प्यार में पीर लें पीर को प्यार दें। एक कसक सी न रह जाये दिल में कहीं, ...