अंतिम मधु प्याला।।
तारों का रथ चाँद सारथी, जीवन अपना है मधुशाला।।
कितने द्वार खड़े पीने को, कितने प्याले तोड़ चुके हैं
कितने मदिरालय में रहकर, जीवन मधुघट फोड़ चुके हैं
प्रथम बूँद की कुछ को चाहत, कुछ अंतिम की बाट जोहते
मधु की लाली में नव जीवन, कुछ को प्यासी राह मोहते
कुछ डूबे मधु के सागर में, और बने कुछ जीवन हाला
गहन सिमटती रात अँधेरी, हाथ लिए अंतिम मधु प्याला।।
दिल से दूर हुए हैं कितने, जीवन मधु सा जीनेवाले
मदिरालय ने कितने देखे, आते-जाते पीने वाले
कितने पीकर मस्त हुए हैं, कितने डूब गए जीवन में
कितने साकी रूठ गए हैं, डूबे कितने सिन्धु नयन में
जब-जब छलकी प्याली मन की, तब-तब नयन बने ख़ुद हाला
गहन सिमटती रात अँधेरी, हाथ लिए अंतिम मधु प्याला।।
कुछ मुस्काये नयनों में घुल, कुछ नयन कोर से ढलक गये
कुछ ने मन को दिया सहारा, अरु कुछ राहों में बहक गये
कुछ राहों में घिरकर भटके, कुछ को भय भ्रम ने आ घेरा
कुछ ने सहज भाव स्वीकारा, जीवन जनम मरण का फेरा
कितने मदिरालय खुद बहके, कितनों ने खुद संशय पाला
गहन सिमटती रात अँधेरी, हाथ लिए अंतिम मधु प्याला।।
कुछ को धूप मिली राहों में, कुछ ने पग-पग पाई छाया
कुछ अभाव में जीवन काटा, कुछ को हाथ मिली बस माया
कुछ बंधन में स्वयं बँधे हैं, कुछ को हालातों ने बांधा
कुछ साधक बन स्वयं सधे हैं, कुछ को अनुपातों ने साधा
कितनी मद की प्याली छलकी, अरु टूटी कितनी मधुशाला
गहन सिमटती रात अँधेरी, हाथ लिए अंतिम मधु प्याला।।
अंतिम बूँद प्रखर कितनी है, समझा किसने काल हलाहल
जिसने कंठ धरा है इसको, पग-पग चलता रहा चलाचल
लेकिन अंतिम बूँद मदिर की, प्यासे मन को भरमाती है
मदिरालय के द्वार पहुँचकर, अंतिम सुख क्या दे पाती है
अंतिम सुख की चाह हृदय में, मधु घट सेज सजाती हाला
गहन सिमटती रात अँधेरी, हाथ लिए अंतिम मधु प्याला।।
©✍️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
15अप्रैल, 2023
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