कुछ जीवन के गीत लिखे हैं।
मैंने भी नवरीत लिखे हैं कुछ जीवन के गीत लिखे हैं।।
कुछ में मन के मीत लिखे हैं
कुछ में मन क्यूँ हुए पराए
कुछ में छूटा संग किसी का
कुछ में मन ने जो अपनाए
जीवन में कुछ व्यवधानों के नए-नए नित प्रतिमानों के
मैंने भी नवरीत लिखे हैं कुछ जीवन के गीत लिखे हैं।।
सावन में बूँदों को गाया
पतझड़ में पातों को हमने
कुछ में है खुशियों को गाया
तो कुछ में घातों को हमने
कभी मिले कुछ अपमानों के और कभी कुछ सम्मानों के
मैंने भी नवरीत लिखे हैं कुछ जीवन के गीत लिखे हैं।।
शब्दों से कुछ शब्द निकाले
और समय से कुछ पल हमने
आये जितने प्रश्न उभरकर
उनसे ही ले कर हल हमने
मन के सारे अरमानों के साँझ ढले कुछ अवसानों के
मैंने भी नवरीत लिखे हैं कुछ जीवन के गीत लिखे हैं।।
©✍️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
26फरवरी, 2023
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