श्री राम हमारे अग्रज हैं श्री कृष्ण हमारे नायक हैं।।
ऊंच-नीच का भेद छोड़ कर हम सबको अपनाने वाले
त्याग धर्म है मूल हमारा हम कुरुक्षेत्र के नायक हैं
रामायण के अनुगामी हैं औ हम गीता के गायक हैं
हम धीर धरा सा रखते हैं औ हम संयम के पाले हैं
कैसी भी बाधाएं आये हम नहीं बिखरने वाले हैं
जीवन पथ की बाधाओं को हँस-हँस कर झेला करते है
कुरुक्षेत्र के रणभूमि में भी हम अरि से खेला करते हैं
अपने सम्मुख जो भी आया हम हँस कर गले लगाते हैं
धर्म-जाति से ऊपर उठकर हम तो सबको अपनाते हैं
नहीं किसी से बैर मानते हम सबसे मिलकर रहते हैं
शरणागत पर वार कभी हो हम आगे बढ़कर सहते हैं
सत्य सनातन मूल मंत्र है पहले हँसकर समझाते है
कुरु वंश के दरबारों में हम देवदूत बन जाते हैं
अनुचित वारों प्रतिकारों को इक हद तक ही हम सहते हैं
नीति नियम के पालन करते हम मर्यादा में रहते हैं
शास्त्र हमारे दिल में रहता हम शस्त्र हाथ में रखते हैं
हम अमृत के पोषक हैं पर बन नीलकंठ विष चखते हैं
हम मुरली की तान छेड़ते पर नाग नाथना आता हैं
सागर की उच्छृंखल लहरों पर सेतु बाँधना आता है
हम गोपालक हम मनमौजी पर चक्र सुदर्शन धारी हैं
जब-जब विपदा पड़ी धरा पर हमने ही धरती तारी है
हम गीता के अनुयायी हैं हम पहला वार नहीं करते
लेकिन दुश्मन बात समझ ले हम दूजा वार नहीं सहते
साधु संत ऋषियों मुनियों से हमने तो जीना सीखा है
अपने धर्म ग्रन्थ से हमने ये जीवन जीना सीखा है
रामायण के अनुगामी हैं औ हम गीता के गायक हैं
श्री राम हमारे अग्रज हैं श्री कृष्ण हमारे नायक हैं।।
©✍️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
10फरवरी, 2023
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