अवधी गीत-मन सोचई पहिले।

अवधी गीत-मन सोचई पहिले।  

बहुत कठिन बा का दुनिया मे
अपने मन के काबू करना
जग से अच्छी बातें सीखब
ओहके फिर से लागू करना
हरदम मन मे दुविधा कइसन
चाहेस केतनी बार कि कहिले
लेकिन कइसे बात कही सब
सोच नाई पायेस मन पहिले।।

कउनो गलती ओहर रहल
अउ कउनो गलती यहर रहल
तनिक बिगाड़ ओहर भयल
अउ तनिक बिगाड़ यहर भयल
तोहसे भी कुछ सहल गइल न
एहरौ मनवा कुछ न सहले
लेकिन कइसे बात कही सब
सोच नाई पायेस मन पहिले।।

अब पछताए होय काऊ जब
चिड़िया चुगी गयी खेत सकल
तुहई बतावा तब का करिता
मनवा में जब वहम रहल
कइसे मेल उहाँ संभव हो
केऊ न कदम बढावईं पहिले
कइसे ई सब सहल होई
सोचई अब तो मन ई पहिले।।

©✍️अजय कुमार पाण्डेय
        हैदराबाद
        21जनवरी, 2023

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