आवाहन

आवाहन।  

आज विकल है सृष्टि सकल ये मौन रहे तो क्या पाओगे
अंक धरा का रीत रहा है कुछ तो बोलो कब आओगे।।
         
घिरा कुहासा आज धरा पर ओर-छोर कुछ नहीं दिख रहा
धुँधली हुई दिशाएँ सारी दिनकर जाकर कहीं छुप रहा
आज निराशा तेज हो रही जग के सारे अनुमानों में
लगता जैसे क्षीण हो रहे शक्ति रही जो वरदानों में
सुनो पुकार मौन की अब तो, अब तो जग को राह दिखा दो
भटका-भटका जीवन लगता नयनों में फिर आस जगा दो
नहीं जगे जो भाव सुनहरे जग को बस कल्पित पाओगे
अंक धरा का रीत रहा है कुछ तो बोलो कब आओगे।।1।।

आज हवाओं में क्या जाने कैसा-कैसा जहर घुल रहा
किसको है मालूम यहाँ पर क्यूँ कर मन को घाव मिल रहा
बीच धार में मचली किश्ती दूर-दूर तक नहीं किनारा
तेज उफनती धाराओं में डूब न जाये भाग्य सितारा
तूफानों के बीच लहर पर मन शांत चित्त अनुमान लिखो
लहरों को निर्देशित कर दे, हाँ नौका का सम्मान लिखो
लिखो पंथ नवयुग नूतन हो बीते पथ में क्या पाओगे
अंक धरा का रीत रहा है कुछ तो बोलो कब आओगे।।2।।

विचलित पर्वत मौन है सागर पल-पल रीत रही है गागर
उच्छृंखल सब भाव हो रहे मैली होती मन की चादर
प्रतिपल अंतस द्वंद पल रहा साँसों को प्रतिबंध खल रहा
आवेशित हो रहे सभी अब जैसे अपना अंग जल रहा
भींगी पलकें रैन सताती करवट में रातें हैं जाती
अवसादों में गगन घिर रहा शुचिता का सब ढंग गिर रहा
गिरे ढंग जो इस जीवन के बिखरा मन तो क्या पाओगे
अंक धरा का रीत रहा है कुछ तो बोलो कब आओगे।।3।।

आँसू से पूरित नयनों में आ फिर से अंगार सजा दो
युद्ध भूमि में खड़ा हुआ मन आ जाओ फिर नाद बजा दो
टुकड़ा-टुकड़ा हुआ क्षितिज अब धरती का आँचल विह्वल है
रक्त चरित्र को देख मनुजता अंतरतम तक आज विकल है
आजादी पर ग्रहण लगा है धरती का आँचल घायल है
रुनझुन-रुनझुन जो बजती थी मौन हुई वो क्यूँ पायल है
अभिशापित हो रही द्रौपदी मौन रहोगे क्या पाओगे
अंक धरा का रीत रहा है कुछ तो बोलो कब आओगे।।4।।

ठहर न जाये गंग धार ये राहों के अवरोध हटा दो
ठहरी सभी शिलाएँ पथ की ठोकर से सब आज मिटा दो
आ सकते जो नहीं यहाँ तो मन को नूतन राह दिखाओ
अँधियारा हो घना भले ही राहों में फिर दीप जलाओ
चले राह खुद अपनी मंजिल ऐसा फिर आवेग सबल दो
असुरों का सब दंभ मिटा दे आज भुजाओं में वो बल दो
इतना भी जो नहीं हुआ तो युग-युग तक फिर पछताओगे
रीत गया जो अंक धरा का बोलो फिर क्या तुम पाओगे।।5।।

©✍️अजय कुमार पाण्डेय
        हैदराबाद
        24दिसंबर, 2022



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