हमने जीत-हार के गीत हैं लिखे बहुत।।

हमने जीत-हार के गीत हैं लिखे बहुत।।

प्रेम के व्यवहार के गीत हैं लिखे बहुत
हमने अश्रुधार के गीत हैं लिखे बहुत
क्या मिला नहीं मिला अब कोई गिला नहीं
हमने जीत-हार के गीत हैं लिखे बहुत।।

चाहतों की रश्मियाँ ढूँढते रहे सदा
अंधड़ों में बस्तियाँ ढूँढते रहे सदा
भीड़ में रहे कभी या नीड़ में रहे कभी
मौन अपनी हस्तियाँ ढूँढते रहे सदा।।

वक्त के मनुहार के गीत हैं लिखे बहुत
हमने जीत-हार के गीत हैं लिखे बहुत।।

शीत में रहे जो तो धूप की कशिश रही
धूप में रहे जो तो छाँव की कशिश रही
पूर्णता के भाव क्यूँ मन को छलते रहे
मौन में पुकार की मन को इक़ खलिश रही।।

मौन के आधार के गीत हैं लिखे बहुत
हमने जीत-हार के गीत हैं लिखे बहुत।।

मन की सभी ख्वाहिशें पूर्ण कब हुई यहाँ
उम्र संग चली और कुछ उम्र में घुलीं यहाँ
कुछ ने रास्ते बुने राह में कुछ खो गए
कुछ को चित्रकार की तूलिका मिली यहाँ।।

चित्रों के आधार के गीत हैं लिखे बहुत
हमने जीत-हार के गीत हैं लिखे बहुत।।

रात जब हुई कभी भोर ने आवाज दी
शून्य जब हुए कभी मौन ने आवाज दी
कब कहो के रश्मियाँ सिमट कर रही कहीं
रश्मि के श्रृंगार ने जिंदगी को साज दी।।

रश्मि से श्रृंगार के गीत हैं लिखे बहुत
हमने जीत-हार के गीत हैं लिखे बहुत।।

©✍️अजय कुमार पाण्डेय
        हैदराबाद
        05नवंबर, 2022



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

प्यार में पीर लें पीर को प्यार दें

 प्यार में पीर लें पीर को प्यार दें एक दूजे को हम इतना अधिकार दें, के प्यार में पीर लें पीर को प्यार दें। एक कसक सी न रह जाये दिल में कहीं, ...