आज मन के द्वार किसने बीन छेड़ी।।
घाव सारे आज मन के धुल गये
नैन जो कल तक मुँदे थे खुल गये
आज किस करवट हवायें चल रहीं हैं
बंद थे जो द्वार सारे खुल गये
सज गए सुर तार किसने बीन छेड़ी
आज मन के द्वार किसने बीन छेड़ी।।
आज लहरों ने मधुर संगीत गाया
दूर सागर से मिलन का पथ सजाया
चल पड़ी, मँझधार नौका कब रुकी है
दूर तारों ने मिलन का गीत गाया
चाँद करे सिंगार किसने बीन छेड़ी
आज मन के द्वार किसने बीन छेड़ी।।
पौन ने छूकर मधुर संगीत गाया
दूर लहरों ने नया फिर सुर सजाया
दो दृगों में स्वप्न फिर नूतन सजे हैं
मौन लम्हों ने नया है राग गाया
मौन हैं उद्गार किसने बीन छेड़ी
आज मन के द्वार किसने बीन छेड़ी।।
©✍️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
08नवंबर, 2022
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