पास हम आने लगे।
बेकसी में जब कभी भी याद तुम आने लगे।।
बात पूरी हो न पायी दूर सबसे हो गए
दूरियाँ वो गीत बनकर होंठ पर आने लगे।।
सिलवटों ने माथ पर हैं लिखी जितनी कहानी
उम्र की दहलीज पर वो मौन समझाने लगे।।
कुछ अधूरे गीत उस दिन राह में भटके कहीं
देख कर तुमको यहाँ पर याद सब आने लगे।।
यूँ था सफर छोटा मगर दूरियाँ ऐसी बढ़ीं
दूरियों को पाटने में उम्र को जमाने लगे।।
जिंदगी की रेल का "देव" यूँ सफर चलता रहा
दूर हम जबसे हुए हैं पास हम आने लगे।।
©✍️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
03नवंबर, 2022
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