लहरें चाँदनी से बात अपनी कर रही हैं।
देख लहरें चाँदनी से बात अपनी कर रही हैं।।
दूधिया आकाश ओढ़े रात पल-पल ढल रही है
और मीठी सी छुअन दे पौन मद्धम चल रही है
गा रही है गीत ऋतु का सुन रहे हैं चाँद तारे
घुल रही है चाँदनी भी देख अधरों पर हमारे
ओस बूँदें चाँदनी में मोतियों में ढल रही हैं
देख लहरें चाँदनी से बात अपनी कर रही हैं।।
नाचती हैं पंक्तियाँ औ आधरों पर गीत सारे
झूमती हैं बदलियाँ भी झूमते सारे नजारे
कनखियों से रास रचकर रात ने मन को लुभाया
भर दिया अनुराग मन में गीत ने आकाश पाया
नेह की मीठी छुअन से यामिनी भी तर रही है
देख लहरें चाँदनी से बात अपनी कर रही हैं।।
दूर इन पगडंडियों पे देख परियाँ नाचती हैं
गात में मधुमास भरतीं पुष्प से पथ साजती हैं
बीत जाये ना कहीं ये रात की घड़ियाँ सुहानी
और कुम्हलाये कहीं न आधरों की रात रानी
शब्द से श्रृंगार करती पंक्ति आगे बढ़ रही है
देख लहरें चाँदनी से बात अपनी कर रही हैं।।
©✍️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
15नवंबर, 2022
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