पलकों से जो बरसे गीत कहलाये।।

पलकों से जो बरसे गीत कहलाये।।

भाव पलकों में जो आये शब्द अकुलाए
और पलकों से जो बरसे गीत कहलाये।।

शब्द की ओढ़नी में छंद का श्रृंगार कर 
जो ले गयी सभी मेरे हृदय के भाव हर 
वो भाव निज हृदय की पंक्तियों में समाये
और पलकों से जो बरसे गीत कहलाये।।

लिखी बात मन की शब्द का लेकर सहारा
आस का आकाश पृष्ठ पर हमने उतारा
चित्र गढ़े तूलिका ने वो मन को बहलाये
और पलकों से जो बरसे गीत कहलाये।।

क्या करूँ अर्पित कहो अब तुम्हें मैं निशानी
जो बताये तुमको दर्द की सारी कहानी
आहें वो मेरे हृदय की मेघ बन छाये
और पलकों से जो बरसे गीत कहलाये।।

©✍️अजय कुमार पाण्डेय
        हैदराबाद
        10अगस्त, 2022



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