भोर सुंदर मुस्कुराये।

भोर सुंदर मुस्कुराये।  

शब्द को पहचान मिलती भावना को अर्थ बोलो
चाहतों को राह मिलती कामना को अर्थ बोलो
आ मिलो इक बार देखो है राह क्यूँ सूनी पड़ी
जो छुपे हैं भाव दिल में आज उनका अर्थ बोलो।।

है रोशनी वो ही भली दूर तक रोशन करे जो
चाहतें वो ही भली हैं अंक को उपवन करे जो
औ कब मिली है दूर रहकर प्रीत को मंजिल यहाँ
प्रीत है वो ही भली मन भाव को मधुवन करे जो।।

है अँधेरों की धमक या के उजाले मंद बोलो
रोकते हैं जो राह को कौन सा प्रतिबंध बोलो
ये है समय की मांग या फिर स्वार्थ की सबको पड़ी
हैं बदलते आज पल पल क्यूँ यहॉं कटिबंध बोलो।।

है नहीं इतनी अँधेरी रात तारे डूब जायें
है नहीं इतनी घनेरी रात के पथ लड़खड़ायें
तुम ही कहो के भोर का पथ रुक सका है कब यहाँ
रात के उस पार देखो भोर सुंदर मुस्कुराये।।

©✍️अजय कुमार पाण्डेय
         हैदराबाद
        10अगस्त, 2022

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