गजल-कहीं तो रास्ता होगा।
कहीं तो होगा कोई ऐसा कि जिससे वास्ता होगा।।
आवाजें दूर से टकराकर फिर से लौट आती हैं
कहीं कुछ तो है यहाँ ऐसा के जिससे राब्ता होगा।।
सुना सच बोलने से दुश्मनी बढ़ जाती है शहर में
कोई तो है यहाँ ऐसा जो सच को भाँपता होगा।।
खड़ी न कर दीवारें दरमियाँ अपनी औ जमाने के
के अँधेरा है बहुत गहरा कोई तो रास्ता होगा।।
सिखाया है यही हमको यहाँ जमाने की अदावत ने
चलो जिस राह पर खुलकर देव वही तो रास्ता होगा।।
इस शहर में हर किसी ने अपनी महफ़िल सजा रखी है
लगता है तन्हाइयों से सभी का कुछ वास्ता होगा।।
©✍️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
08अगस्त, 2022
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