पलकों में आँसू बोया था।
जब मुझको संदेशा आया
खुद को मोड़ लिया तब मैंने
तुमसे जोड़ लिया तब मैंने
जागा था तब भाव समंदर
मेरे भी अंतस के अंदर
लगा समय खुद से मिलने का
मुरझाकर फिर से खिलने का
तुमको पाकर भी खोया था
पलकों में आँसू बोया था।।
मन में कितनी बातें आईं
यादों की सौगातें लाईं
कुछ ने हृदय को किया अधीर
कुछ पुनः जगाई मन की पीर
कुछ ने भावों को सहलाया
कुछ ने पलकों को बहलाया
कुछ ने मन को दिया सहारा
कुछ ने मन से किया किनारा
कुछ ने मन से किया किनारा
कुछ पाकर मन कुछ खोया था
पलकों में आँसू बोया था।।
सांध्य किरण द्वारे जब आयी
भावों ने तब ली अँगड़ाई
पंछी ने था गीत सुनाया
पलकों ने भी था कुछ गाया
अधरों ने तब कही कहानी
नयनों से जब बरसा पानी
तब आहों ने भाव सँभाला
गीतों में सब कुछ कह डाला
खुलकर उस दिन तब रोया था
पलकों में आँसू बोया था।।
©✍️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
24अगस्त, 2022
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