जागो भारत पुत्रों जागो फिर माँ ने तुम्हें पुकारा है।।
जागो भारत पुत्रों जागो फिर माँ ने तुम्हें पुकारा है।।
केसर का दम भरती क्यारी
औ पग-पग सुंदर फुलवारी
सींचा जिसको युगों-युगों से
है घायल वो धरा हमारी
शत्रु के नापाक इरादों ने फिर से हमको ललकारा है
जागो भारत पुत्रों जागो फिर माँ ने तुम्हें पुकारा है।।
राम, कृष्ण, गौतम की धरती
गीता, वेद, पुराण, उपनिषद
अस्त्र-शस्त्र औ शास्त्र की शिक्षा
का अपना संसार है वृहद
ऐसी शिक्षाओं के प्रण को दूर कोई ललकारा है
जागो भारत पुत्रों जागो फिर माँ ने तुम्हें पुकारा है।।
जाति धरम का बंधन तोड़ो
भारत को भारत से जोड़ो
गूंजे धरती और गगन ये
मन के सारे आलस छोड़ो
करो दमन सब मंसूबों को दुश्मन ने घात लगाया है
जागो भारत पुत्रों जागो फिर माँ ने तुम्हें पुकारा है।।
गंगा की लहरें हैं गाती
यमुना जीवन राग सुनाती
सुबह सवेरे दिनकर जिसके
चौखट वंदनवार सजाती
देवों की इस मातृभूमि को अरि ने फिर ललकारा है
जागो भारत पुत्रों जागो फिर माँ ने तुम्हें पुकारा है।।
दुश्मन बाहर दुश्मन भीतर
इक-इक से हमको लड़ना है
भाषा-भाषी क्षेत्रवाद से
ऊपर हम सबको उठना है
उठ जाओ के भीतर कितने साँपों ने फन फुँफकारा है
जागो भारत पुत्रों जागो फिर माँ ने तुम्हें पुकारा है।।
लक्ष्मीबाई तात्या टोपे
वीर शिवाजी, मंगल पांडे
भगत, राजगुरु, सुखदेव, तिलक
गाँधी ने इसे सँवारा है
वीर शहीदों के बलिदानों से गूंज रहा नभ सारा है
जागो भारत पुत्रों जागो फिर माँ ने तुम्हें पुकारा है।।
ये इतना आसान नहीं है
के अरि इसको छू भी पाये
गलत दृष्टि जो भी डालेगा
मुश्किल है वो फिर जी पाये
भारत के कण-कण में सुन लो, बसता मन प्राण हमारा है
जागो भारत पुत्रों जागो फिर माँ ने तुम्हें पुकारा है।।
©✍️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
14अगस्त, 2022
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